Saturday, August 15, 2009
एक सप्ताह के अंदर पाट कीमतों में प्रति क्विंटल सात सौ रुपये की कमी से किसानों में मायूसी छा गई है। ध्हन के सूखे की चपेट में आने के बाद पाट ही लोगो की एक आशा की किरण थी /
ठाकुरगंज ,
छतरगाछ जेसे बाजारों पिछले 08
अगस्त को जो पाट प्रति क्विंटल 25
सौ रुपये व्यापारियों द्वारा किसानों से खरीदा जा रहा था,
वहीं पाट 12
तथा 13
अगस्त को 18
सौ रुपये प्रति क्विंटल खरीदा गया। एक तरफ महंगाई आसमान छू रही है,
किसानों के थाली में दाल तथा कुल्फी में चाय पहुंच से दूर है। वहीं किसानों से जब उनका तैयार फसल खरीदी जाती है तो उन्हे औने-
पौने दाम मिलता है। सरकारी स्तर पर भी पाट नही खरीदने के कारण बचोलिएय की मनमानी का शिकार कि़सान हो रहे है उ़पप्रमुख सोगेरा नाहीद का भी मानना है की सरकारी क्रय एजेंसी जेसीआई के द्वारा भी पाट खरीद चालू नहीं होने से किसान निजी हाथों में पाट बेंचने को विवश हैं। इस पूरे मामले में उपप्रमुख सोगेरा नाहीद ने जिला प्रशासन को तुरंत दखल देने की मांग करते हुए कहा कि सोमवार को जो पटुआ 2600
से 2700
रुपये बिका वहीं पटुआ चार दिनों के अंदर नौ सौ रुपये कम पर बिका है। ठाकुरगंज हटिया में किसानों की पाट खरीदने वाले महाजनों ने बताया कि कलकत्ता जहां पाट का मुख्य बाजार है,
वहीं पर लगातार दाम में कमी के कारण यह स्थिति पैदा हुई है।
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